हिंदू धर्म में पूजा में श्रीफल (नारियल) का अत्यधिक महत्व है. देवी-देवताओं के मंदिरों में नारियल चढ़ाने के अलग-अलग विधान हैं. नर्मदा समेत पवित्र नदियों में भी नारियल चढ़ाने का एक विधान है, लेकिन देखा जाता है कि लोग नर्मदा में नारियल चढ़ाते हुए पानी में फेंक देते हैं. जबकि, यह तरीका गलत माना गया है.

बता दें कि शिव पुत्री नर्मदा विश्व की इकलौती नदी हैं, जिनकी पूर्ण परिक्रमा की जाती है. मान्यता है कि गंगा में डुबकी लगाने से जो पुण्य मिलता है, वह नर्मदा के दर्शन मात्र से मिल जाता है. इसलिए नर्मदा की महिमा और भी अधिक बढ़ जाती है. नर्मदा पूजन का अपना एक विधान है, जिसका पालन करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है.

क्या है सही तरीका
खरगोन की पवित्र नगरी मंडलेश्वर के निवासी ज्योतिषाचार्य एवं कथावाचक पंडित पंकज मेहता ने बताया कि पवित्र स्थलों एवं नदियों में पूजन सामग्री अर्पित की जाती है. नर्मदा में श्रीफल चढ़ाया जा रहा है तो उसे चरणों में अर्पण के भाव से होना चाहिए.

पुराणों में मिलता है वर्णन
नर्मदा पुराण, स्कंद पुराण, ब्रह्म पुराण, नारद पुराण सहित स्मृति ग्रंथों में नर्मदा का पूजन और पूजन सामग्री सहित नारियल अर्पण करने विधान बताया गया है. इसके अनुसार नारियल नर्मदा के तट पर दोनों हाथों से बहते पानी में प्रवाहित करना चाहिए.
फेंकने से होता है अपमान
नर्मदा में नारियल फेंकना एक अपमान की दृष्टि से देखा जाता है. यदि हम किसी को कोई सामग्री भी देते हैं तो दोनों हाथों से देते हैं, न की फेंककर. उसी प्रकार नर्मदा के प्रति भी मन में भक्ति रखते हुए दोनों हाथों से नारियल अर्पण करना चाहिए. चूंकि शास्त्रों में भी अर्पण का विधान है, फेंकने का नहीं.

.