ओटावा। कनाडा में बढ़ती ‎विदे‎‎‎शियों की संख्या ने कई तरह की ‎दिक्कतें खड़ी कर दी हैं। यहां मंहगाई तो अ‎नियं‎त्रित हो ही रही है साथ ही लोगों को रहने के ‎लिए घरों का संकट पैदा हो गया है। ऐसे में कनाडा सरकार ने तय ‎किया है ‎कि ‎विदेश से आने वाले लोगों को नाग‎रिकता देने बचा जाना चा‎हिए।बढ़ती मंहगाई और देश में बढ़ रहे हाउसिंग क्राइसिस के कारण कनाडा ने विदेशी नागरिकों को नागरिकता देने के अपनी महत्वकांक्षी योजना पर भविष्य के लिए ब्रेक लगा दिया है। पिछले साल की इमिग्रेशन पालिसी में कनाडा ने 2025 में 5 लाख विदेशियों को पी आर देने का लक्ष्य रखा था और अब नई नीति में इसमें वृद्धि नहीं की गई है।
आप्रवासन मंत्री मार्क मिलर, जो कुछ महीने पहले पदभार ग्रहण करने के बाद अपनी पहली योजना की घोषणा करेंगे, को ऐसे माहौल का सामना करना पड़ेगा जिसका सामना उनके पूर्ववर्तियों को शायद ही कभी करना पड़ा हो। हालांकि कनाडा आवास संकट से गुज़र रहा है, जिसके बारे में कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि देश के मौजूदा लक्ष्यों के साथ यह और भी बदतर हो सकता है।इससे पहले 2023 में कनाडा ने 465000, 2024 में 485000 और और 2025 में 500000 विदेशी नागरिकों को पी.आर. देने का लक्ष्य रखा लेकिन 2026 में इसमें वृद्धि नहीं की। यह इमिग्रेशन नीति ऐसे समय में आई है जब हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा की पी.आर. हासिल करने के बावजूद लोग कनाडा को छोड़ रहे हैं। यदि सरकार इस लक्ष्य पर कायम रहती है, तो अगले 2 वर्षों में लगभग दस लाख लोगों को स्थायी निवासी (पीआर) के रूप में मंजूरी दी जाएगी।
इसके अलावा, कनाडा ने पिछले साल लगभग 700,000 अस्थायी निवासियों को एंट्री दी - ऐसे विदेशी जिनके पास या तो वर्क या स्टडी परमिट है या जिन्होंने शरणार्थी स्थिति का दावा किया है - अपने स्थायी निवास लक्ष्यों से कहीं अधिक है। आप्रवासन ने पारंपरिक रूप से कनाडा की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन कनाडा बढ़ती कीमतों और आवास संकट से जूझ रहा है। कुछ अर्थशास्त्रियों ने संघीय सरकार से इस बारे में स्पष्ट योजनाएँ प्रदान करने का आग्रह किया है कि वह अगले कुछ वर्षों में उन हजारों नए लोगों को कैसे समायोजित करना चाहती है।