हिन्दू धर्म के मांगलिक कार्यों में किन पंचदेवों की होती है पूजा, क्या है इनकी पूजा का महत्व...

जब हम कोई भी मांगलिक कार्य करते है पूजा अनुष्ठान करते है तो सबसे पहले गणपती का स्मरण पूजन करते है फिर भूमि का पूजन फिर कलश का पूजन फिर दीप देवता का पूजन इन पूजनो के द्वारा हम पंचतत्वो का पूजन करते है जैसे पहले भूमि, पहला तत्व फिर कलश से जल तत्व , फिर दीप से अग्नि तत्व ,का पूजन इन पूजन में आकाश तत्व और वायु तत्व हर वक़्त विद्यमान होते है ऐसे हम पहले इन पञ्च तत्वों का पूजन करते है फिर हम  इन पंच तत्व के सिद्ध समूह भगवान का पूजन करते हैं  ...
भगवान मतलब क्या ।।।
भ - भूमि 
ग - गगन 
व- वायु 
आ की मात्रा - अग्नि
न - नीर 
इस आधार से हम भगवान का सिद्ध पंच तत्व का पूजन करते है ।

हिंदू धर्म में कोई भी नया कार्य करने से पहले सर्वप्रथम देवी-देवताओं का आवाहन और पूजन किया जाता है। हर मांगलिक कार्य में सबसे पहले पंचदेव की पूजा का विधान बताया गया है। इन पंचदेवो का मंत्रों द्वारा आवाहन किया जाता है। जल से आचमन कराने के पश्चात पंचोपचार विधि से उनका पूजन किया जाता है। मांगलिक कार्यों से पहले पंच देवो का पूजन करने से सारे कार्य बिना किसी विघ्न बाधा के संपन्न हो जाते हैं। जानते हैं कि किन पंचदेवो का किया जाता है पूजन और क्या है इनकी पूजा का महत्व...

- कौन हैं पंच देव...
सूर्य, भगवान गणेश, शिव जी, भगवान विष्णु और आदिशक्ति मां दुर्गा को पंचदेव माना गया है हर शुभ कार्य में इनके पूजन का विधान है। सूर्य देव के पश्चात सबसे पहले भगवान गणेश तत्पश्चात शिव जी, मां दुर्गा और विष्णु जी का पूजन किया जाता है। 
- पंच देवों की पूजा का महत्व...
सृष्टि के निर्माण में पांच तत्वों का बहुत महत्व हैं वायु, जल, अग्नि,  पृथ्वी और आकाश। इन्हीं पंचतत्वों को आधार मानकर पंचदेव का पूजन किया जाता है। 

- भगवान सूर्य नारायण...
सूर्य से ही सारी सृष्टि पर प्रकाश है सूर्य ही एक ऐसे देवता है जिन्हें प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। पंचतत्वो में सूर्य को आकाश का प्रतीक माना जाता है। इसलिए सूर्य देव की पूजा की जाती है।

- भगवान गणेश...
गणेश जी सभी देवों में प्रथम पूजनीय हैं इन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है। इसलिए हर मांगलिक कार्य में सबसे पहले इनकी पूजा की जाती है। जिससे कार्य निर्विघ्न रुप से संपन्न हो जाए। 

- भगवान शिव, मां दुर्गा...
भगवान शिव और शक्ति स्वरुपा मां दुर्गा दोनों से ही सृष्टि का आरंभ है। यह समस्त जगत के माता-पिता हैं मां दुर्गा स्वयं प्रकृति हैं तो भगवान शिव देवों के भी देव हैं। जीवन और काल भी इन्हीं के अधीन है।

- श्रीहरि विष्णु...
भगवान श्री हरि विष्णु समस्त जगत के पालनकर्ता हैं। सृष्टि के संचालन का भार इन्हीं पर हैं। इसलिए हर शुभ कार्य में विष्णु जी की पूजा करने का प्रावधान है। देवउठनी एकादशी से विष्णु जी के जाग्रत होने के बाद ही मांगलिक कार्यों का आरंभ होता है।

*पञ्च महाभूत*
- पंचमहाभूत वे पाँच महान तत्व हैं जो मिलकर इस ब्रह्मांड के प्रत्येक तत्व को बनाते हैं। इन तत्वों में अंतरिक्ष, हवा, अग्नि, पानी, और पृथ्वी, शामिल हैं। प्रत्येक तत्व की अपनी विशिष्ट विशेषता है और इस दुनिया के निर्माण में एक प्रमुख भूमिका है।

आयुर्वेद के अनुसार, यहां तक ​​कि मानव शरीर भी इन पांच तत्वों से बना है। पंचमहाभूतों का सीधा संबंध मनुष्य की स्वास्थ्य प्रणाली से है। आयुर्वेद के अनुसार, यहां तक ​​कि मानव शरीर भी इन पांच तत्वों से बना है। पंचमहाभूतों का सीधा संबंध मनुष्य की स्वास्थ्य प्रणाली से है। मानव शरीर में इन तत्वों का संतुलित अनुपात स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने के लिए काफी आवश्यक है। ऐसा माना जाता है कि इन पांच तत्वों को मनुष्य की पांच उंगलियों द्वारा संतुलित किया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, यहां तक ​​कि मानव शरीर भी इन पांच तत्वों से बना है।

पंचमहाभूतों का सीधा संबंध मनुष्य की स्वास्थ्य प्रणाली से है।मानव शरीर में इन तत्वों का संतुलित अनुपात स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने के लिए काफी आवश्यक है। ऐसा माना जाता है कि इन पांच तत्वों को मनुष्य की पांच उंगलियों द्वारा संतुलित किया जा सकता है।

मानव शरीर में सभी पाँच तत्वों को संतुलित करने के लिए मुद्राएँ (योग मुद्राएँ) हैं जो अंततः मन-शरीर के कार्यों को संतुलित करती हैं। 

मानव शरीर में इन तत्वों की मौजूदगी:


वायु : यह शरीर में मौजूद पदार्थ के गैसीय रूप का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें दिल की धड़कन, प्रेरणा और समाप्ति जैसे शरीर के भीतर कई आंदोलनों द्वारा गठित ऊर्जा भी शामिल है। यह तत्व शरीर में अग्नि को कार्यशील रखता है।

अंतरिक्ष (आकाश) : यह फेफड़े, हड्डियों, मुंह आदि जैसे कई हिस्सों के खोखलेपन का प्रतिनिधित्व करता है। यह परिवहन और संचार की प्रक्रिया को पूरा करने में मदद करता है।

आग (तेजस) : अग्नि शरीर में विभिन्न मामलों के परिवर्तन और रुपांतरण में मदद करती है। यह शरीर के तापमान, चयापचय, दृष्टि शक्ति और मानसिक शक्ति को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। यह भोजन को वसा और मांसपेशियों में परिवर्तित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाती है।

पानी : यह शरीर में विभिन्न तरल पदार्थों या तरल तत्वों जैसे लार, गैस्ट्रिक जूस, लसीका, रक्त और सबसे महत्वपूर्ण रूप से पानी का प्रतिनिधित्व करता है। पानी सबसे बुनियादी और महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है जो मानव अस्तित्व में मदद करता है।

पृथ्वी : हमारे शरीर में सब कुछ ठोस इस तत्व द्वारा दर्शाया गया है। ठोस, पानी को स्थिर करने में मदद करता है।


।। जय-माँ-तुलजा-भवानी ।।


।। जय-जय-श्रीमहाकालजी ।।