बैतूल (हेडलाइन) /नवल वर्मा । जिले में रेत संकट के दौर में जब विकल्प के तौर पर एम सेंड (मैन्यूफैक्चरिंग सेंड) का उपयोग निर्माण कार्यो में शुरू किया गया, जिससे कि निर्माण कार्य न रूके। ऐसी स्थिति में भी सांसद के प्रिय माने जाने वाले सहायक यंत्री नीरज धुर्वे अज्ञात कारणों से जिद पर अड़े है कि  किसी भी सूरत में वे एम सेंड का उपयोग नहीं होने देंगे और उनकी इस जिद की वजह से नगरपालिका बैतूल में निर्माण कार्य लेटलतीफ हो रहे है।  कार्यपालन यंत्री महेश चन्द्र अग्रवाल खुले शब्दों में कह रहे है कि 50 फीसदी तक एम सेंड का उपयोग कर सकते है, इसके बावजूद अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों को ताक पर रखकर एई नीरज धुर्वे किसी भी सूरत में एम सेंड का उपयोग नहीं करने दे रहे है। अब ऐसा क्यों है और इसके पीछे उनकी मंशा क्या है इसका जवाब तो वे ही दे सकते है। जबकि एम सेंड का उपयोग निजी भवन निर्माण सहित आरईएस, पीडब्ल्यूडी, पीआईयू, पीएम सड़क योजना आदि निर्माण एजेंसियों में रेत के विकल्प के तौर पर हो रहा है।
रेत संकट या महंगी रेत में ठेकेदारों के पास एम सेंड एक अच्छा विकल्प है
निर्माण कार्यो के एक्सपर्ट का मानना है कि एम सेंड की क्वालिटी रिवर सेंड की क्वालिटी से कहीं कम नहीं होती है। उनका कहना है कि भसवा रेत से बेहतर है कि एम सेंड लगाई जाए। उनका कहना है कि पिछले 8 महीने से बैतूल में जो रेत संकट था या वर्तमान ठेका होने के बाद भी जो रेत महंगी हो जाएगी उसमें ठेकेदारों के पास एम सेंड एक अच्छा विकल्प हो सकता है। यदि सहायक यंत्री इस तरह अड़ंगे लगाएंगे तो निर्माण कार्य प्रभावित होंगे। इस अड़ंगेबाजी के कारण ही आरोप तो यह लगता है कि एई स्थानीय ठेकेदारों को एम सेंड उपयोग करने से रोक रहे है। इसका कारण क्या है वही जाने।
सुभाष वार्ड की सीसी रोड में एई के आदेश पर इंजीनियर ने नहीं उपयोग होने दी एम सेंड
बताया गया कि सुभाष वार्ड में निर्माणाधीन सीसी रोड में ठेकेदार नियमानुसार एम सेंड का उपयोग करना चाहता था, लेकिन इंजीनियर ने उसे ऐसा करने से रोक दिया। वजह यह थी कि सहायक यंत्री नीरज धुर्वे ने उसे निर्देशित कर रखा था कि किसी भी सूरत में सीसी रोड में एम सेंड का उपयोग नहीं किया जाएगा, भले ही रेत की वजह से सीसी रोड निर्माण कार्य रूक जाए। हालांकि ठेकेदार ने एई के हिसाब से निर्माण किया।
कार्यपालन यंत्री के निर्देश को भी ठेंगे पर रखते नजर आते है सहायक यंत्री
रेत संकट के दौर में निर्माण कार्य प्रभावित न हो, काम न रूके इसलिए कार्यपालन यंत्री महेशचन्द्र अग्रवाल ने 50 फीसदी रिवर सेंड और 50 फीसदी एम सेंड का उपयोग करने के निर्देश दिए थे और कहा था कि ऐसा करने से निर्माण की गुणवत्ता पर असर नहीं पड़ता, लेकिन अपने वरिष्ठ अधिकारी के आदेश को न मानने के लिए सहायक यंत्री नीरज धुर्वे जिद पर अड़ गए और उन्होंने एम सेंड का उपयोग नहीं करने दिया। 
निजी और अन्य सरकारी एजेंसी में धड़ल्ले से हो रहा है एम सेंड का ही उपयोग
शहर के भगत सिंह वार्ड में संजीवनी हॉस्पीटल के ठीक बगल में एम सेंड से ही छत डाली गई है। लिटिल फ्लावर स्कूल के सामने बहुमंजिला बिल्डिंग के निर्माण में भी एम सेंड का उपयोग हो रहा है। पंचायतों के निर्माण कार्य में भी एम सेंड का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा प्रधानमंत्री सड़क योजना, पीडब्ल्यूडी पीआईयू, आरईएस आदि निर्माण एजेंसियां भी रेत संकट को देखते हुए एम सेंड का उपयोग कर रही है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल, 20 जनवरी 2023