बाबा विश्वनाथ की पावन नगरी काशी भगवान शिव की नगरी कही जाती है। यहां आने वाले शिव भक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए सालभर आते है लेकिन अगर आपने काशी में भैरव के दर्शन नही किए तो आपके बाबा विश्वनाथ का दर्शन अधूरे माने जाते हैं।

भैरव का यह मंदिर वाराणसी के कमच्छा क्षेत्र के अपने दो रूपों में विराजमान हैं। मान्यताओं के अनुसार इनके दोनों रुपों के दर्शन करने से ग्रह बाधा दूर होती है और पुत्र प्राप्ति की मनोकामना भी पूरी होती है। रविवार के दिन भक्तों की भारी भीड़ भैरव बाबा के दर्शन के लिए उमड़ती है। मंदिर परिसर के अंदर प्रवेश करते ही बाईं ओर बटुक भैरव की दिव्य प्रतिमा स्थापित है। लोगों का मानना है की बटुक भैरव के दर्शन से भय से मुक्ति मिलती है और हर भक्त काशी में बिना कष्ट के निवास सकता है।

- पहला रूप बटुक भैरव...


भैरव बाबा के पहले रुप के दर्शन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। बाबा भैरव नाथ का पहला रुप उनका बाल रुप है, कहा जाता है कि इनके दर्शन से पुत्र प्राप्ति की अभिलाषा पूरी हो जाती है। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की अगर कोई भक्त 21 मंगलवार या रविवार इनके दरबार में हाजिरी लगाये तो बाबा उसकी झोली खुशियों से भर देते हैं।

- दूसरा रूप आदि भैरव...


इसी मंदिर के दूसरे हिस्से में भैरव आदि भैरव के रुप में विराजते हैं। भैरव का यह रूप भी बाल रूप है। कहते हैं इनके दर्शन से राहु केतु की बाधा दूर हो जाती है और भक्तों को आशीर्वाद मिलता है। मंदिर के पुजारी का कहना है की यहां दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।

- आरती के दौरान नगाड़े बजाना...
भैरव बाबा का यह मंदिर सुबह 4 बजे से दोपहर 1 बजे तक औऱ शाम को 4 बजे से रात को 12 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में दिन में तीन बार आरती होती है और सबसे खास है इस आरती के दौरान नगाड़े को बजाना। मान्यता है कि इस मन्दिर में पूजा और आरती के दौरान जो भी नगाड़ा बजाता है उस पर बाबा की विशेष कृपा होती है। इस दरबार में आया कोई भी भक्त खाली हाथ वापस नहीं लौटता इसीलिए सालभर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।


🙏ॐ नमः शिवाय🙏
सभी नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति के लिए सर्व आपदा निवारक श्री भैरव महापूजा

आपदा निवारण बटुक भैरव पूजा, काल भैरव अष्टकम पाठ करने से जीवन से हर प्रकार की आपदाएं-विपत्तियां दूर होती हैं, साथ ही सभी ग्रहों के दुष्परिणामों को मुक्ति, शत्रु नाश, धन लाभ, परिवार में सुख समृद्धि की वृद्धि और गृह क्लेश से मुक्ति प्राप्त होती है।

- आपदा निवारण बटुक भैरव पूजा, काल भैरव अष्टकम पाठ के लाभ...
- आपदा और विपत्ति से सुरक्षा।
-  बुरे ग्रहों के दोष दूर।
- बुरी नजर से बचाव।
- धन और व्यापार में लाभ।

सभी नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति के लिए वैशाख शुक्ल त्रयोदशी, 3 मई 2023, बुधवार को श्री बटुक भैरव मंदिर में सर्व आपदा निवारक श्री भैरव महापूजा में भाग लें।

सभी नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति के लिए सर्व आपदा निवारक श्री भैरव महापूजा

आपदा निवारण बटुक भैरव पूजा, काल भैरव अष्टकम पाठ करने से जीवन से हर प्रकार की आपदाएं-विपत्तियां दूर होती हैं, साथ ही सभी ग्रहों के दुष्परिणामों को मुक्ति, शत्रु नाश, धन लाभ, परिवार में सुख समृद्धि की वृद्धि और गृह क्लेश से मुक्ति प्राप्त होती है।

- पूजा से लाभ...

- आपदा और विपत्ति से सुरक्षा...
श्री बटुक भैरव आने वाली सभी विपत्तियों का नाश करके भक्तों को सुखी जीवन का आशीर्वाद देते हैं। आपदा निवारण बटुक भैरव पूजा, काल भैरव अष्टकम पाठ से किसी भी परेशानी और नकरात्मक ऊर्जा के प्रभाव को खत्म किया जा सकता है।

- बुरे ग्रहों के दोष दूर...
बटुक भैरव के मस्तक पर सूर्य विद्यमान होने के कारण इन्हें ग्रहों का राजा भी माना गया है। बटुक भैरव की पूजा करने से सभी तरह के ग्रह दोष दूर होते हैं।

- धन और व्यापार में लाभ...
भगवान भैरव के उपासक को किसी भी काम के लिए कभी भी धन की कमी नहीं होती है। उनकी कृपा से व्यापार और नौकरी में विशेष उन्नति होती है।

 

- सभी नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति के लिए सर्व आपदा निवारक श्री भैरव महापूजा :  काशी...
महादेव की नगरी काशी में भक्तों की पूजा वाराणसी के कमच्छा क्षेत्र में बटुक भैरव के दर्शन के बिना अधूरी मानी जाती है। इस मंदिर में काल भैरव दो रूप में विराजमान है, #बटुक_भैरव और #आदि_भैरव। बटुक भैरव, जो कि काल भैरव के बाल रूप है, उनके दर्शन मात्र से सभी आपदाओं तुरंत दूर हो जाती है। आदि भैरव भी काल भैरव के बाल रूप है और उनके दर्शन से राहु केतु सम्बन्धी ग्रह समस्या दूर हो जाती है।

इस मंदिर में पूजा कराने या भाग लेने से सभी ग्रहों की शांति हो सकती है क्यूंकि बटुक भैरव के मस्तक पर सूर्य विद्यमान होने के कारण इन्हें ग्रहों का राजा भी माना गया है। बुधवार और वैशाख शुक्ल त्रयोदशी के दिन हजारों भक्त अपनी मनोकामना लेकर बटुक भैरव की शरण में आते हैं। यहां से कोई भी भक्त कभी खाली नहीं जाता है।

काशी में यह मंदिर अत्यधिक प्राचीन है। काशी दो खंडों में विभक्त है, एक विशेश्वर खंड तो दूसरा केदारेश्वर खंड। दोनों खंडों की सुरक्षा के लिए दो भैरव विराजमान हैं। विशेश्वर खंड की सुरक्षा काल भैरव करते है, केदार खंड की सुरक्षा इसी मंदिर के बटुक भैरव करते है। श्री कृष्ण ने भीम को इंद्रप्रस्थ की रक्षा के लिए यहां तपस्या करने के लिए भेजा था। बाबा बटुक नाथ की कृपा से ही इंद्रप्रस्थ की रक्षा संभव हुई। ये बटुक भैरव ही है जो अपने भक्तों की रक्षा नकारात्मक ऊर्जा, भय एवं शत्रुओं से करते हैं।

🙏जय श्री कालभैरव🙏