बैतूल (हेडलाइन)/नवल वर्मा।जब भी कोई बड़ा हादसा होता है, लोगों की जान चली जाती है। तब सिस्टम जागता है और ताबड़तोड़ तरीके से यह जताने की कोशिश करता है कि किसी को नहीं बख्शा जाएगा, सारी गड़बड़ ठीक कर दी जाएगी और गलती करने वालों के खिलाफ पुख्ता कार्रवाई होगी। इस तरह की प्रक्रिया बैतूल सहित पूरे प्रदेश में खूब देखने में आती है, मगर परिणाम शुन्य रहता है। ऐसा ही हरदा की पटाखा फैक्ट्री में धमाके और उसमें लोगों की जान जाने के बाद अचानक ही सिस्टम फिर नींद से जागा और अफसर पटाखा तथा बारूद गोदाम की तरफ दौड़ते और हाफते हुए नजर आने लगे। मीडिया में सिस्टम का एक्शन दिखाई देने लगा है और हो सकता है कि दो-तीन दिन इसी तरह का एक्शन खूब सूर्खिया बने। फिर सब भूल जाएंगे और सिस्टम भी पुन: अपनी नींद में वापस चला जाएगा। अभी ज्यादा पुरानी बात नहीं है, दिसम्बर माह के अंत में भी एक बड़ा हादसा गुना में हुआ है जिसमें एक बस में आग लग जाने पर करीब एक दर्जन लोगों की जान चली गई थी वहीं इसमें भी सिस्टम जागा और इसलिए पुलिस राजस्व और आरटीओ का अमला बसों की चैकिंग के लिए टूट पड़ा। अब स्थिति यह है कि बसों की चैकिंग बंद हो गई है अब किसी को कोई लेना देना नहीं है। क्योंकि सिस्टम का पेट खानापूर्ति से भर दिया गया है। लोग भूले नहीं होंगे कि जब भी कहीं बोर में बच्चा गिरने जैसा हादसा होता है तो खूब हल्ला मचता है और हल्ले के बाद प्रशासन और मीडिया दोनों खुला बोर ढूंढने निकल पड़ते है। फिर दो चार दिन की हायतौबा में खूब सूर्खियां बटोर ली जाती है और फिर सब अपने-अपने घर में जाकर गहरी नींद में सो जाते है। इसके बाद भी बोर में बच्चे गिरने का सिलसिला बंद नहीं हो रहा है और न ही खुले बोर ना रहे इसके लिए कोई स्थाई व्यवस्था बन रही है। कुल मिलाकर सिस्टम कुंभकरण की तरह हादसे के बाद जागता है और खानापूर्ति से पेट भरकर सो जाता है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 08 फ़रवरी 2024